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बिहार और बिहारी

 बिहार और बिहारी कौन  है हम ? कहा  सेह आते हैं हम ? हमारी पहचान क्या है ? हमारे राष्ट्र का नाम क्या है ? बता दे.. हां हां हम वही हैं जिसे आप गाली देते हैं। हमारे काम करने को मज़दूरी बोलते है, पर हमें इस बात का कोई शर्म नहीं। क्यों कि हम गाली नहीं बिहारी हैं। ये अंकल-आंटी बुलाने वाले क्या जाने हमारे चाचा-चाची बुलाने के अंदाज को, ये माजा पीने वाले क्या जाने मालदा आम के स्वाद को,  मुजफ्फरपुर के लीची के मिठास को, हमारे महान नालन्दा के इतिहास को | तो चलिए एक कविता से सुनते हैं क्या है हमारे लिए बिहार  हम हार हैं, इज़हार हैं, इस्तेहार हैं | अनपढ़ होकर भी होनहार है | होली की पिचकारी हो या , भागलपुर की साड़ी सब के हम हितकारी है |  क्योंकि हम बिहारी हैं || अपने जीवन के हम निर्माणकारीहम हैं |  क्योंकि हम बिहारी हैं || जिम्मेदारियों के लिए घर से दूर रहना जरूरी है |  तो छठ पूजा पर घर जाना जरूरी है  | क्योंकि हम बिहारी हैं || प्यार एक सुंदर एहसास है , तो उसी प्यार के लिए पहाड़ तोड़ना हमारा इतिहास है | गैरो के लिए ना दिल में रहता कभी वैर है  क्योंकि ह...

मैं ही अच्छा था

मैं ही अच्छा था 💫 शायद मैं ही अच्छा था | मैं ही था जो तेरे बेरंग जीवन को रंगीन बनाना चाहता था | मैं ही था जो तुझे खुश देखना चाहता था | मैं ही था जो तुझे कांटों पर चलते देख रोकना चाहता था | अंधेरे में जाता देख टोकना चाहता था | सितारों की महफ़िल में देखना चाहता था | इन दिनों मैं सोचता था मैं सच्चा हूँ | पर मैं तो ग़लत था | क्यूंकि जिन रंगों की मैं बात कर रहा हूँ , उसका इंद्रधनुष है तू | जिस ख़ुशी की मैं बात कर रहा हूँ ,उसकी मुस्कान है तू | जिन कांटों की मैं बात कर रहा हूँ , उसका गुलाब है तू | जिस अंधेरे का मैं बात कर रहा हूँ , उसकी रोशनी है तू | जिस महफ़िल का मैं बात कर रहा हूँ , उसका चाँद है तू | इन सब के बावजूद मैं सोचता हूँ,  मैं सच्चा था | क्यूंकि शायद मैं ही अच्छा था | मैं ही अच्छा था ||